सड़क नहीं.. एंबुलेंस नहीं.. खटिया ही बनी सहारा, आग से झुलसी महिला को 3km ढोकर ले गए परिजन
जमशेदपुर के डुमरिया प्रखंड के पितामली गांव में सड़क न होने से एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती. एक जख्मी महिला को ग्रामीणों ने खटिया और बांस के सहारे 3 किलोमीटर पैदल ढोकर सड़क तक पहुंचाया. मामला सामने आने पर उपायुक्त ने सड़क और एंबुलेंस व्यवस्था जल्द लागू करने की बात कही.

JHARKHAND (JAMSHEDPUR): जमशेदपुर से सटे ग्रामीण इलाकों में आज भी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी दिखाई देती है. डुमरिया प्रखंड के पितामली गांव स्थित गाड़ियां तंगी टोला में ऐसा ही दर्दनाक मामला सामने आया है, जहां मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीण अब भी खटिया और बांस का सहारा लेने को मजबूर हैं. पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां न सड़क है और न ही एंबुलेंस पहुंच पाने की सुविधा.
रसोई में लगी आग, खटिया पर लादकर 3 किलोमीटर पैदल यात्रा
गांव की महिला धातकी जमुदा घर पर खाना बना रही थीं, तभी अचानक उनके शाल में आग लग गई. कुछ ही क्षणों में वह गंभीर रूप से झुलस गईं. जब इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ी तो गांव वालों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा. एंबुलेंस गांव तक नहीं आ सकती थी, इसलिए ग्रामीणों ने महिला को खटिया में लिटाया और बांस के सहारे कंधे पर उठाकर 3 किलोमीटर पहाड़ी रास्ता पैदल तय किया. सड़क पर पहुंचने के बाद ही उसे वाहन से अस्पताल भेजा जा सका.
प्रशासन हरकत में - सड़क और एंबुलेंस की व्यवस्था का मिला आश्वासन
मामला सामने आने के बाद जमशेदपुर के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने स्थिति को गंभीर बताते हुए तत्काल संज्ञान लिया. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सड़क निर्माण और एंबुलेंस सुविधा जल्द शुरू की जाएगी ताकि ग्रामीणों को इस तरह की तकलीफों से नहीं गुजरना पड़े.
गांव की वास्तविकता उजागर. आदिम हालात में जी रहे लोग
यह घटना फिर साबित करती है कि आधुनिक युग में भी कई ग्रामीण इलाके बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर हैं. पितामली गांव के लोग आज भी आदिम हालात में जीने को विवश हैं, जहां जिंदगी और मौत के बीच की दूरी केवल एक कच्ची सड़क की उपलब्धता पर टिकी है.
रिपोर्ट: बिनोद केसरी, जमशेदपुर









