मन की बात कार्यक्रम में PM ने दी महापर्व छठ की बधाई, भगवान बिरसा मुंडा को भी किया याद
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का 127वें एपिसोड था इस एपिसोड में राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने छठ महापर्व के महत्व बताए साथ ही उन्होंने लोगों को छठ उत्सव में हिस्सा लेने की अपील की. मन की बात कार्यक्रम में पीएम ने भगवान बिरसा मुंडा को भी याद करते हुए उन्हें नमन किया.

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का आज रविवार (26 अक्तूबर 2025) को 127वां एपिसोड था. आज के इस एपिसोड में पीएम मोदी ने लोक आस्था के महापर्व छठ से अपने संबोधन की शुरूआत की. उन्होंने देशवासियों को छठ महापर्व का महत्व बताया. और लोगों से कहा कि मौके मिले तो सभी छठ उत्सव में एक बार जरूर हिस्सा लें. पीएम ने कहा कि छठ का महापर्व संस्कृति, प्रकृति और समाज के बीच की गहरी एकता का प्रतिबिंब है. छठ के घाटों पर समाज का हर वर्ग एक साथ खड़ा होता है. ये दृश्य भारत की सामाजिक एकता का सबसे सुंदर उदाहरण है.
भगवान बिरसा मुंडा को पीएम मोदी ने किया नमन
वहीं अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने झारखंड के धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए नमन किया. साथ ही उन्होंने कहा कि अगले महीने 15 तारीख को हम 'जनजातीय गौरव दिवस' मनाएंगे. यह भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का शुभ अवसर है मैं भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धा पूर्वक नमन करता हूं. कि उन्होंने देश की आज़ादी के लिए, आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए जो कार्य किए हैं वह अतुलनीय है.
इससे पहले दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में शहर से प्लास्टिक कचरा साफ करने के लिए एक अनोखी पहल की गई है. अम्बिकापुर में Garbage Cafe चलाए जा रहे हैं. ये ऐसे cafe हैं, जहां प्लास्टिक कचरा लेकर जाने पर भरपेट खाना खिलाया जाता है. इस cafe को अम्बिकापुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन चलाता है जिसमें कोई व्यक्ति अगर एक किलो प्लास्टिक लेकर जाए तो उसे दोपहर या रात का खाना मिलता है और कोई आधा किलो प्लास्टिक ले जाए तो नाश्ता मिल जाता है.
इंजीनियर कपिल शर्मा की PM ने की तारीफ
आगे पीएम ने कहा कि बेंगलुरु को झीलों का शहर कहा जाता है और इंजीनियर कपिल शर्मा जी ने यहां झीलों को नया जीवन देने का अभियान शुरू किया है. कपिल जी की टीम ने बेंगलुरु और आसपास के इलाकों में 40 कुओं और 6 झीलों को फिर से जिंदा कर दिया है. खास बात तो ये है कि उन्होंने अपने mission में corporates और स्थानीय लोगों को भी जोड़ा है.
गुजरात के वन विभाग ने Mangrove के महत्व को समझते हुए खास मुहिम चलाई हुई है. 5 साल पहले वन विभाग की टीमों ने अहमदाबाद के नजदीक धोलेरा में Mangrove लगाने का काम शुरू किया था, और आज, धोलेरा तट पर साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में Mangrove फैल चुके हैं. Mangrove का असर आज पूरे क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. वहां के eco system में dolphins की संख्या बढ़ गई है. केकड़े और दूसरे जलीय जीव भी पहले से ज्यादा हो गए हैं. यही नहीं, अब यहां प्रवासी पक्षी भी काफी संख्या में आ रहे हैं. इससे वहां के पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव तो पड़ा ही है, धोलेरा के मछली पालकों को भी फायदा हो रहा है.
देशवासियों से की भारतीय नस्ल के कुत्तों को अपनाने की अपील
करीब पांच वर्ष पहले मैंने इस कार्यक्रम में भारतीय नस्ल के 'श्वान' यानि dogs की चर्चा की थी. मैंने देशवासियों के साथ ही अपने सुरक्षा बलों से आग्रह किया था कि वे भारतीय नस्ल के Dogs को अपनाएं, क्योंकि वो हमारे परिवेश और परिस्थितियों के अनुरूप ज्यादा आसानी से ढल जाते हैं. BSF और CRPF ने अपने दस्तों में भारतीय नस्ल के Dogs की संख्या बढ़ाई है. Dogs की training के लिए BSF का National Training Centre ग्वालियर के टेकनपुर में है. यहां उत्तर प्रदेश के रामपुर हाउंड, कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुधोल हाउंड पर विशेष रूप से focus किया जा रहा है.
भारतीय नस्ल वाले Dogs के लिए Training Manuals को फिर से लिखा गया है ताकि उनकी unique strengths को सामने लाया जा सके. बेंगलुरु में CRPF के Dog Breeding and training school में मोंग्रेल्स, मुधोल हाउंड, कोम्बाई और पांडिकोना जैसे भारतीय श्वानों को train किया जा रहा है. पिछले वर्ष लखनऊ में All India Police Duty Meet का आयोजन हुआ था. उस समय, रिया नाम की श्वान ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा था. यह एक मुधोल हाउंड है जिसे BSF ने Train किया है. रिया ने यहां कई Foreign Breeds को पछाड़ते हुए पहला पुरस्कार जीता.
सरदार पटेल ने किए देश की एकता और अखंडता के लिए अद्वितीय प्रयास
सरदार पटेल आधुनिक काल में राष्ट्र की सबसे महान विभूतियों में से एक रहे हैं. उनके विराट व्यक्तित्व में अनेक गुण एक साथ समाहित थे. वे एक अत्यंत प्रतिभाशाली छात्र रहे. उन्होंने भारत और ब्रिटेन दोनों ही जगह पढ़ाई में बेहतरीन प्रदर्शन किया. वे अपने समय के सबसे सफल वकीलों में से भी एक थे. गांधी जी से प्रेरित होकर सरदार पटेल ने खुद को स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी तरह समर्पित कर दिया. 'खेड़ा सत्याग्रह' से लेकर 'बोरसद सत्याग्रह' तक अनेक आंदोलनों में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है.
अहमदाबाद Municipality के प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल भी ऐतिहासिक रहा था. उन्होंने स्वच्छता और सुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी. उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के रूप में उनके योगदान के लिए हम सभी सदैव उनके ऋणी रहेंगे. सरदार पटेल ने भारत के bureaucratic framework की एक मजबूत नींव भी रखी. देश की एकता और अखंडता के लिए उन्होंने अद्वितीय प्रयास किए. मेरा आप सबसे आग्रह है, 31 अक्टूबर को सरदार साहब की जयंती पर देश-भर में होने वाली Run For Unity में आप भी जरूर शामिल हों.
भारत की कॉफ़ी सर्वोत्तम, दुनियाभर में की जाती पंसद
मुझे बताया गया है कि कोरापुट कॉफी का स्वाद गजब होता है, और इतना ही नहीं, स्वाद तो स्वाद, कॉफी की खेती भी लोगों को फायदा पहुंचा रही है. कोरापुट में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने passion की वजह से कॉफी की खेती कर रहे हैं. दुनिया-भर में भारत की कॉफी बहुत लोकप्रिय हो रही है. चाहे कर्नाटका में चिकमंगलुरु, कुर्ग और हासन हो. तमिलनाडु में पुलनी, शेवरॉय, नीलगिरी और अन्नामलाई के इलाके हों, कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर बिलिगिरि क्षेत्र हो या फिर केरला में वायनाड, त्रावणकोर और मालाबार के इलाके - भारत की कॉफी की diversity देखते ही बनती है. हमारा north-east भी coffee cultivation में आगे बढ़ रहा है. पीएम ने कहा कि भारत की कॉफ़ी अपनी सर्वोत्तम कॉफ़ी है यह भारत में बनाई जाती है और दुनिया भर में पसंद की जाती है
'वन्देमातरम्' के 150वें वर्ष के उत्सव में प्रवेश करने वाले है हम -PM
'वन्देमातरम्' इस एक शब्द में कितने ही भाव हैं, कितनी ऊर्जाएं हैं. सहज भाव में ये हमें मां-भारती के वात्सल्य का अनुभव कराता है. यही हमें मां-भारती की संतानों के रूप में अपने दायित्वों का बोध कराता है. अगर कठिनाई का समय होता है तो 'वन्देमातरम्' का उद्घोष 140 करोड़ भारतीयों को एकता की ऊर्जा से भर देता है. राष्ट्रभक्ति, मां-भारती से प्रेम, यह अगर शब्दों से परे की भावना है तो 'वन्देमातरम्' उस अमूर्त भावना को साकार स्वर देने वाला गीत है. इसकी रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी ने सदियों की गुलामी से शिथिल हो चुके भारत में नए प्राण फूंकने के लिए की थी.
7 नवंबर को हम 'वन्देमातरम्' के 150वें वर्ष के उत्सव में प्रवेश करने वाले हैं. 150 वर्ष पूर्व 'वन्देमातरम्' की रचना हुई थी और 1896 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पहली बार इसे गाया था. आने वाले समय में 'वन्देमातरम्' से जुड़े कई कार्यक्रम होंगे, देश में कई आयोजन होंगे. मैं चाहूंगा, हम सब देशवासी 'वन्देमातरम्' के गौरवगान के लिए स्वत: स्फूर्त भावना से भी प्रयास करें.
आप मुझे अपने सुझाव ##Vande Matram150 के साथ जरूर भेजिए.









