IND-SA 3rd ODI: टॉस की बदकिस्मती खत्म कर पाएगा भारत? विशाखापत्तनम में ‘डबल हार’ टालने की बड़ी चुनौती
भारत ने लगातार 20 ODI टॉस गंवाए हैं, जिससे दक्षिण अफ्रीका को टेस्ट और वनडे दोनों सीरीज़ में ‘डबल जीत’ का मौका मिल गया है. विशाखापत्तनम में मुकाबला फिर से टॉस पर निर्भर दिख रहा है, जहां ओस और एक गेंद का नियम मैच की दिशा तय कर सकते हैं.

IND-SA 3rd ODI: भारत और दक्षिण अफ्रीका का मौजूदा दौरा अब निर्णायक मोड़ पर है. दक्षिण अफ्रीका के पास टेस्ट और ODI दोनों सीरीज जीतकर दुर्लभ ‘डबल’ हासिल करने का बड़ा मौका है. भारत ने घर में ऐसी दोहरी हार आखिरी बार 1986-87 में देखी थी.
टॉस: मैच की असली कुंजी
इस दौरे का सबसे बड़ा फैक्टर अब क्रिकेटिंग स्किल नहीं, बल्कि टॉस बन चुका है. भारत ने लगातार 20 ODI टॉस गंवाए हैं. आखिरी बार भारत ने टॉस पिछले वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में जीता था. लगातार टॉस हारना टीम को रणनीतिक रूप से पीछे ठेल रहा है.
ओस और एक गेंद का नया समीकरण
रात के मैचों में ओस भारत में कई वर्षों से बड़ा निर्णायक कारक रही है, लेकिन अब 34वें ओवर के बाद सिर्फ एक गेंद के इस्तेमाल ने उसका असर दोगुना कर दिया है. दोपहर में गेंदबाज़ी करने वाली टीम को पुराने, मुलायम गेंद का फायदा मिलता है, लेकिन रात में ओस उस बढ़त को पूरी तरह खत्म कर देती है. पिछला ODI इसका सटीक उदाहरण था, जहां 34 ओवर तक भारत से 35 रन पीछे होने के बावजूद दक्षिण अफ्रीका मैच जीत गया.
दो अलग-अलग योजनाएं - एक ही लक्ष्य
टीमों की रणनीति साफ है:
दोपहर में: नई गेंद का पूरा फायदा उठाकर पिच के हिसाब से 20-30 रन अतिरिक्त जोड़ना.
रात में: नई गेंद से शुरुआती स्पेल में आक्रामक गेंदबाज़ी, इससे पहले कि ओस गेंद को बेअसर कर दे.
भारत यह संतुलन रांची में कर पाया, लेकिन रायपुर में चूक गया. अब चुनौती यह है कि क्या दक्षिण अफ्रीका दोनों चरणों में फिर वही प्रभाव दिखा पाएगा.
क्या बदलेगी भारत की टॉस किस्मत?
सवाल वही है - क्या भारत आखिरकार टॉस जीत पाएगा? यदि नहीं, तो दक्षिण अफ्रीका का ‘डबल’ लगभग तय माना जा रहा है. विशाखापत्तनम केवल मैदान की जंग नहीं, बल्कि टॉस की जंग भी बनने वाला है.









