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Ranchi Desk: झारखंड में अब किसी भी निजी अस्पतालों में शवों को रोककर नहीं रखा जाएगा. बल्कि परिजनों को शव सौंपना अनिवार्य होगा. दरअसल, सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने राज्य में इसे लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है.
स्वास्थ्य मंत्री के इस फैसले से पूरे राज्य में सराहना और प्रशंसा की लहर पैदा कर दी है. साथ ही राज्य के गरीब परिवारों को बड़ी राहत भी प्रदान की है. सरकार का यह निर्णय असमय अपनों को खोने वाले परिजनों के लिए सहारा और एक बड़ी संबल बनकर सामने आया है. लोग मंत्री इरफान अंसारी के इस संवेदनशील और मानवीय निर्णय के लिए दिल से धन्यवाद और आभार व्यक्त कर रहे हैं.
आपको बता दें, स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने स्पष्ट और सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि निजी अस्पतालों में अब किसी भी परिस्थिति में मृतक के शव को रोककर नहीं रखा जाएगा. अस्पताल को हर हाल में शव उनके परिजनों को सौंपना अनिवार्य होगा.
वहीं इस संबंध में जब मंत्री इरफान अंसारी से सवाल पूछा गया कि उन्होंने ऐसा निर्णय क्यों लिया है तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि 'मैं मंत्री बाद में हूं पहले एक डॉक्टर हूं. और एक डॉक्टर होने के नाते मैं मरीजों और उनके परिजनों के दुख, दर्द और पीड़ा को भली भांति समझ सकता हूं. मैंने अपनी आंखों से देखा है कि किस तरह अस्पताल शव को पैसे के अभाव में रोक लेते थे और परिवार लाचार, बेबस होकर अस्पतालों के दरवाजे पर बिलखते रहते थे. तभी मैंने मन में ठान लिया था कि अगर मुझे भविष्य में कभी ऐसी जवाबदेही मिलेगी, तो मैं सबसे पहले उन परिवारों को राहत दूंगा जो आर्थिक तंगी के कारण अपनों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाते.'
आगे उन्होंने कहा कि मंत्री पद की शपथ लेते ही उन्होंने यह निर्णय लागू किया और राज्य के तमाम अस्पतालों ने इसका अनुपालन किया. इतना ही नहीं इरफान अंसारी ने केंद्र सरकार को भी इस निर्णय की जानकारी दी थी. जिसके बाद अब केंद्र सरकार ने भी इस फैसले को मान्य दे दी है. इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भी आभार व्यक्त किया. और कहा कि मैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का धन्यवाद करता हूं, जिनकी दूरदर्शी सोच और जनहितकारी नेतृत्व के कारण आज स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनके विजन को आगे बढ़ा रहा हूं. राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक बदलाव आया है और आने वाले दिनों में और भी क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेंगे.
बता दें, यह निर्णय केवल एक आदेश नहीं, बल्कि एक मानवीय पहल है जो संवेदना, सहानुभूति और न्याय की बुनियाद पर आधारित है. मंत्री डॉ अंसारी का यह कदम झारखंड में एक नई स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव रख रहा है जहां इंसानियत सबसे ऊपर है.