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भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती आज, श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा पूरा देश

14-04-2025 - 11:40 AM
Naxatra News Hindi 
Ranchi Desk: आज पूरा देश भारत रत्न डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती मना रहा है. इन्हें भारतीय संविधान के शिल्पकार यानी निर्माता भी कहा जाता है. उन्होंने अपना जीवन न्याय-शिक्षा और न्याय के लिए अर्पित कर दिए थे. भारतीय समाज में स्वतंत्रता और समानता लाने में उन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया है. आज उनके 135वीं जयंती पर देश के अलग-अलग हिस्सों में उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किया जा रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
एक दलित परिवार में हुआ था जन्म
मध्य प्रदेश के महू गांव में 14 अप्रैल 1891 को एक दलित परिवार में एक बच्चा का जन्म हुआ था.जो बाद में भारतीय संविधान का शिल्पकार यानी निर्माता बना. भारतीय संविधान के इस शिल्पकार का नाम डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर है. आपको बता दें, भीमराव अंबेडकर पहले ऐसे भारतीय थे जिन्होंने विदेश से डॉक्टरेट और इकनॉमिक्स में डिग्री हासिल की थी उनके पार कुल 8 डिग्रियां थी. 
बता दें, भीम राव अंबेडकर ने अपने पूरे जीवन में दलितों शोषितों और पिछड़ों को उनके अधिकार दिलाने के लिए कठिन संघर्ष किया. और उनके लिए उनकी अधिकारों, समानता के लिए लड़ाईयां लड़ी. उन्होंने हमेशा से महिलाओं और मजदूर वर्ग के अधिकारों का समर्थन किया. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर समाज सुधारक, न्यायविद और अर्थशास्त्री भी थे देशभक्ति को लेकर उनके विचार सिर्फ उपनिवेशवाद के उन्मूलन तक ही सीमित नहीं थे बल्कि वे प्रत्येक व्यक्ति के स्वतंत्रता की चाह रखते थे. उनका कहना था कि समानता के बिना स्वतंत्रता, लोकतंत्र और स्वतंत्रता के बिना समानता निरंकुश और तानाशाही की तरफ ले जा सकती है. 

संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती आज हम आपको उनके कुछ महान और  प्रेरणादायक विचारों को आप तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं जिन्हें आपको जानने की आवश्यकता है...
  • -धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए. मैं ऐसे धर्म को पसंद हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है.
  • - अगर हमें एक महान राष्ट्र बनाना है तो हमें पहले एक अनुशासित राष्ट्र बनना होगा. 
  • - हर किसी का जीवन लम्बा होने के बजाय महान होना चाहिए.
  • - मैं किसी समाज का आकलन यह देखकर करता हूं कि वहां की महिलाओं की स्थिति कैसी है.  
  • - गुलाम बनकर जियोगे तो ये दुनिया कुत्ता समझकर लात मारेगी, अगर नवाब बनकर जियोगे तो ये दुनिया शेर समझकर सलाम ठोकेगी. 
  • - शिक्षा महिलाओं के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी पुरुषों के लिए.
  • - कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए. 
  • - मंदिर जाने वालों की कतार जिस दिन पुस्तकालय की ओर बढ़ेगी, उस दिन मेरे देश को महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता. 
  • - जाति व्यवस्था एक नरक है जो विश्व के उन लोगों को प्रभावित करता है जो इसके अधीन हैं. 
  • - यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए
  • - अगर मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा. 
  • - हिन्दू धर्म में विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है.
  • - इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है. निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो.
  • -  बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास भूल जाते हैं.
  • -जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वह आपके लिए बेईमानी है.
  • - समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा.
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29-04-2025
Naxatra News Hindi 
Ranchi Desk: सीयूजे और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (एनयूएसआरएल), रांची के बीच शिक्षा और शोध पर एमओयू (समझौता) हुआ. सीयूजे के कुलपति, प्रो. क्षिति भूषण दास ने खुशी जताई और कहा कि इस समझौते से दोनों विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों को एनईपी-2020 के तहत लाभ मिलेगा. एनयूएसआरएल के कुलपति प्रो. अशोक आर. पाटिल ने भी इस साझा प्रयास पर हर्ष जताया और राज्य के विद्यार्थियों के लिए एनईपी-2020 क्रियान्वयन पर मिलकर कार्य करने का भरोसा दिलाया. 

इस समझौते के तहत दोनों विश्वविद्यालय मिलकर एनईपी-2020 के संपूर्ण क्रियान्वयन पर कार्य करेंगे. जिसमें दोनों विश्वविद्यालय के शिक्षक अपने-अपने शोधपरक विशिष्ट ज्ञान को साझा करेंगे. साथ ही दोनों विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थियों के लाभ के लिए अपने विश्वविद्यालय के इतर व्याख्यान और विशिष्ट विषय आधारित पेपर पढ़ाएंगे. इसके अलावा दोनों विश्वविद्यालय साझा शोध, विद्यार्थियों के लिए इंटर्नशिप और साझा सेमिनार, कांफ्रेंस, और वर्कशॉप का आयोजन भी करेंगे. 

इस समझौते पर दोनों विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. क्षिति भूषण दास और प्रो. अशोक आर. पाटिल ने हस्ताक्षर किया. इस समझौते पर हस्ताक्षर झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, माननीय एम एस रामचंद्र राव, जस्टिस संजय प्रसाद और झारखंड के एडवोकेट जनरल, राजीव रंजन के गरिमामयी उपस्थिति में हुई. सीयूजे की तरफ से कुलसचिव के कोसल राव और डीन- शोध एवं विकास प्रो. अरुण कुमार पाढ़ी भी मौजूद थे.
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