SAURAV SHUKLA / Naxatra News Hindi Ranchi Desk: दीवारों में सीपेज-पपड़ी और गिरते हुए छत की प्लास्टर ही RIMS के फिजियोथेरेपी एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी विभाग की पहचान बन चुकी है, बची हुई कसर मानसून की बारिश पूरी कर देती है. आधे घंटे की बारिश में विभाग जलमग्न हो जाता है. विभाग में मशीने तो है, पर आवश्यकता के अनुरूप नहीं. हर रोज करीब 80 से 100 मरीज यहां पर फिजियोथेरेपी एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी के लिए पहुंचते हैं, लेकिन RIMS प्रबंधन का डूबते हुए इस विभाग की ओर कभी ध्यान नहीं जाता है.

इधर इस संबंध में रिम्स फिजियोथेरेपिस्ट देवेंद्र कुमार मुंडा ने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट की रिक्वायरमेंट है. अभी सिर्फ हम चार लोग है. अगर फिजियोथेरेपिस्ट की संख्या बढ़ेगी तो हम अच्छे तरीके से स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मरीजों को दे सकेंगे. लेकिन इसके लिए नए उपकरण (मशीनें) और जगह की जरूरत है. जो हमारे पास नहीं है. इसके अलावे इस विभाग में पहुंचने वाले मरीजों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. बेसमेंट में बने इस विभाग में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को आने में नाकों चने चबाना पड़ता है, ना तो लिफ्ट की व्यवस्था है और ना ही रैंप की.

फिजियोथेरेपिस्ट देवेंद्र कुमार मुंडा ने कहा कि विभाग के द्वारा प्रबंधन को कई महत्वपूर्ण उपकरण की खरीदारी के लिए सूची उपलब्ध करा दी गई है. इनमें टेंस, मसल सिम्युलेटर, अल्ट्रासाऊंड थेरेपी, IFT, फिजियो बॉल, शोल्डर व्हील जैसे कई महत्वपूर्ण उपकरणों की जरूरत फिजियोथेरेपी विभाग को है है. लेकिन विभाग के कर्मियों के लिए सबसे बड़े परेशानी का सबब है यहां होने वाले जलजमाव और उसके बाद होने वाला बदबू भी है.

वहीं, RIMS ऑक्यूपेशनलथेरेपिस्ट आशुतोष कुमार मिश्रा ने कहा कि इसी जगह पर संचालित ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की भी अपनी परेशानी है. उन्हें भी कई महत्वपूर्ण मशीनों की आवश्यकता है. इनमें रोप और पोलर एक्टिविटी,CP चेयर विथ एक्टिविटी ट्रे, शू लेसिंग एक्टिविटी, शोल्डर व्हील एक्टिविटी के अलावा भी कोई महत्वपूर्ण मशीन है की जरूरत है. हड्डी से जुड़ी समस्या, ब्रेन स्ट्रोक से जुड़ी हुई समस्याओं के मरीजों को ऑक्यूपेशनल थेरेपी दी जाती है. फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी एक ही सिक्के के दो पहलू पहलू है.
बता दें, मरीज को फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी की जरूरत तब होती है, जब उसके शारीरिक, संज्ञानात्मक या भावनात्मक समस्याओं से ग्रसित होते है. लेकिन RIMS का यह विभाग खुद बदहाल है. ये कहने में कोई शंका नहीं है कि यह विभाग खुद वेंटीलेटर पर है और स्थिति काफी क्रिटिकल.
जानें क्यों पड़ती है फिजियोथैरेपी की जरूरत
- मांसपेशियों में खिंचाव, मोच, फ्रैक्चर, या सर्जरी के बाद फिजियोथैरेपी की जरूरत पड़ती है.
- जोड़ों के दर्द, पीठ दर्द, गर्दन के दर्द, या अन्य मस्कुलोस्केलेटल समस्याओं के लिए.
- न्यूरोलॉजिकल स्थितियों जैसे स्ट्रोक, मल्टीपल स्केलेरोसिस, या सेरेब्रल पाल्सी के बाद.
- चलने, दौड़ने, या अन्य शारीरिक गतिविधियों को करने की क्षमता में सुधार के लिए.
- संतुलन और समन्वय में सुधार के लिए.