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Ranchi Desk: पुलिस अनुसंधान के दौरान साक्ष्य के अभाव में गिरिडीह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज चंद्र झा के न्यायालय ने दो आरोपी नक्सली (कोहला दास और दिलीप साहू) को रिहा कर दिया है. लिहाजा, इसे गिरिडीह पुलिस को भी बड़ा झटका लगा है. हालांकि दोनों नक्सली अब भी कई और नक्सली कांड के कारण गिरिडीह जेल में ही बंद रहेंगे, लेकिन चिलखारी नरसंहार काण्ड में कोर्ट ने दोनों को रिहा किया है.
दो नक्सली के रिहाई का यह मामला साल 2007 से जुडा हुआ है. जब राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की सरकार थी. इस समय JMM के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन राज्य सरकार में राज्य समन्वयक बनाए गए थे. और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बेटे अनूप समेत 18 लोगों के हत्या से जुडा है. इस मामले में गिरिडीह न्यायालय ने कई आरोपी नक्सली को फांसी की सजा भी सुनाई है. जबकि कई और नक्सलियों के खिलाफ अब भी सुनवाई जारी है.
इसी कड़ी शुक्रवार को बचाव पक्ष के अधिवक्ता पारसनाथ साहू और मुस्लिम अंसारी ने बहस करते हुए कहा कि मामले में पुलिस के पास दोनों आरोपी के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं है. ऐसे में न्यायालय दोनों को निर्दोष मानते हुए रिहा करें. इस दौरान अपर लोक अभियोजक अशोक दास ने बचाव पक्ष के दोनों वकील के बहस पर कोई जिरह नहीं किया. इसके बाद मनोज चंद्र झा की कोर्ट ने दोनों को रिहा कर दिया.
जानें पूरा मामला
बता दें,साल 2007 में देवरी थाना इलाके के चिलखरी नरसंहार की घटना को अंजाम दिया गया था. जब चिलखरी गांव के मैदान में फुटबाल मैच का आयोजन था. इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बेटे अनूप और छोटे भाई नुनुलाल मरांडी को मारने के लिए दर्जन भर से अधिक नक्सली पहुंचे थे. उस समय नुनुलाल किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल रहे. नक्सलियों ने नुनुलाल को नहीं पाने पर उनके भतीजे यानी बाबूलाल मरांडी के बेटे अनूप समेत 18 निर्दोष ग्रामीणों की गला रेतकर हत्या कर दी थी. घटना को गिरिडीह जमुई के जोनल कंमाडर चिराग डा के दस्ते ने अंजाम दिया था. हालांकि कुछ सालों बाद इनकाउंटर में वह मारा गया था.